» ऑनलाइन फॉर्म सहायता हेतु कॉल सेंटर नंबर :- +91 7974787729 (समय प्रातः 10 बजे से शाम 6 बजे तक),   Email : djmsbpl.info@gmail.com . » अखिल भारतीय दिगम्बर जैन युवक युवती परिचय सम्मेलन ” टोंग्या जी वाला ” दिनांक 16, 17 एवं 18 दिसम्बर 2023 कार्यालय स्थल: श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, जवाहर चौक, टी.टी नगर, भोपाल (462003) - मध्य प्रदेश | » अधिक जानकारी के लिय संपर्क करें : +91 9993374517, 9425374384, 9425010200, 9826019837, 9300473631, 7974787729

एक विचार का जन्म

70 के दशक के पूर्वाद्र्ध तक सम्पूर्ण देश में संयुक्त परिवारों का प्रचलन था। परिवार के सभी सदस्य एक ही भवन में सौहार्द पूर्वक निवास करते थे, व्यापार कार्य भी संयुक्त अथवा एक सीमित दायरे में ही होते थे, ज्यादातर रिश्तेदारियां भी 100-200 कि.मी. की परिधी में ही होतीं थी।

परिवार का कोई भी एक वरिष्ठ सदस्य अपने परिवार के विवाह योग्य पुत्र-पुत्रियों के संबंध हेतु आसपास ही नगरों में भ्रमण करता रहता था, एक दूसरे परिचित और रिश्तेदारों के माध्यम से संबंध खोजते थे। अपेक्षायें भी ज्यादा नहीं होती थी, संबंध पारिवारिक पृष्ठभूमि एवं प्रतिष्ठा के आधार पर ही तय होते थे।

समय के साथ शिक्षा एवं व्यापार के क्षेत्र में विस्तार होना प्रारम्भ हुआ, हमारे समाज के नौजवानों ने शिक्षा के क्षेत्र में अपना स्वयं का, परिवार का एवं समाज का नाम रोशन करना प्रारम्भ किया, विदेशों में एवं देश के प्रत्येक राज्य में व्यापार, व्यवसाय एवं नौकरी के लिये गमन किया। देश-विदेश में अपनी विद्वता, कर्मठता एवं कार्यकुशलता के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई, तदनुरूप प्रतिष्ठा एवं सम्पन्नता प्राप्त की, किन्तु इसके साथ ही कुछ अप्रत्याशित एवं अकल्पनीय स्थितियों का निर्माण होना प्रारम्भ हो गया, संयुक्त परिवारों की अवधारणा को ठेस लगने लगी। परिवार के सदस्यों में भी दूरी के कारण सौहार्द में क्रमश: ह्रास होने लगा, साथ ही परिवार के नवयुवक एवं नवयुवतियों के लिये रिश्तें ढूढऩे में भी परेशानी आने लगी, नई पीढ़ी शिक्षा में तेजी से आगे बढ़ रही थी, इनके अनुरूप शिक्षा प्राप्त युवक-युवती आसपास के नगरों में मिलना दुष्कर होता जा रहा था।

रिश्तेदार अथवा मित्र वर्ग जो रिश्ता बतला दे वहीं हमारी सीमा थी, चयन के लिये ज्यादा संभावना नहीं होती था। रिश्ते मिलते भी थे तो एक उत्तर का तो दूसरा सुदूर दक्षिण का अथवा पूर्व-पश्चिम का, इनसे मिलने में, आने-जाने में लगने वाला समय एवं व्यय असहनीय होता जा रहा था।

इन सभी कठिनाईयों पर विचार कर मन में इनके समाधान की रूपरेखा बनी एवं सभी युवक-युवतियों को अपने जीवनसाथी के चयन हेतु एक मंच, एक मौहाल को प्रदान करने का संकल्प लिया परिणामस्वरूप परिचय सम्मेलन का जन्म हुआ-एक विचार आवश्यकता बन गया। गत 27 वर्षों में भी समयावधि में आयोजन जवान हो गया है एवं वर्तमान में समाज की आवश्यकताओं के भार को अपने मजबूत कंधों पर वहन कर रहा है तथा अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहा है।

हम सभी कार्यकर्ता रोमांचित एवं गौरवान्वित हैं एवं हमें भी इस आयोजन के माध्यम से समाज की सेवा का अपूर्व अवसर मिला - हम समाज के भी आभारी है कि उसने हमें भरपूर स्नेह, आशीर्वाद एवं सहयोग दिया।

कृपया भविष्य में भी हमें अपने स्नेह से अभिसिंचित करते रहे।